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दया और प्रेम

अपने शत्रु को दया और प्यार की भावना से देखो। जब तुम किसी से दयापूरुण व्यवहार करते हो, तो चाहे वह शत्रु भी हो, उसे अच्छा लगता है। जब वह तुमसे आशा तो रखता है क्रोध और बदले की भावना की, लेकिन इसके विपरीत उसे तुम्हारे मन में प्रेम और दया की भावना दिखाई देती है तो उसे ख़ुशी होती है।
- शम्स तब्रीज़ी
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