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भीखा भूखा को नहीं सबकी गठरी लाल

संत भीखा ने कहा है कि –
भीखा भूखा को नहीं सबकी गठरी लाल,
गिरह खोल न जानसी ताते भये कंगाल

संत भिखा का कहना है कि भूखा (अज्ञानी)कोई भी नहीं है,सबकी गठरी (ह्रदय)में लाल (कीमती जवाहरात) हैं परंतु गठरी को खोलकर (अपने अंदर झाँककर) कोई नहीं देखता है और इसीलिए हम कंगाल(अज्ञानी) हैं.