सो आंखियां धोये-धोये पीवा।जिन देखा सद्गुरु कबीर
संत दादू दयाल जी कबीर साहिब के बहुत बाद मे हुए थे। एक दिन वो अपने शिष्यो मे सतसंग कर रहे थे तब उन्होंने पूछा की आपमे से कोई है जिसने सतगुरु कबीर साहिब को देखा है। एक बूढ़ा था 100 साल का उसने कहा की मैंने देखा है। दादू दयाल जी ने पूछा की कैसे देखा?
उन्होंने कहा मेरे दादा जी साहिब के शिष्य थे, वो उनके यहाँ जाते थे। दादा मुझे बड़ा प्रेम करते थे। एक दिन मै भी उनकी ऊँगली पकड़ कर उनके साथ साहिब के पास चला गया। मैंने बड़ा हैरान हुआ। जब मैंने साहिब को
देखा तो उनके सीने से आर-पार दिखाई दे रहा था। फिर मे उनके पीछे गया वहाँ से देखा तो पीठ की तरफ
से भी आर-पार दिखाई दे रहा था। पारदर्शी शरीर था उनका। संत दादू दयाल ने अपने शिष्यो को कहा
की पानी लाओ, शिष्य पानी लाए दादू दयाल जी ने उस बूढ़े की आँखे धोई और पीने लगे। शिष्यो ने कहा
की यह आप क्या कर रहे हैं यह तो गृहस्ती है और आप संत हैं। संत दादू दयाल जी ने जवाब दिया-
"सो आंखियां धोये-धोये पीवा।जिन देखा सद्गुरु कबीर।।"
संत सम्राट सद्गुरु कबीर साहिब देह नहीं थे वो स्वयं साहिब थे। साहिब समाज को ये सन्देश देने आए थे की
ये संसार काल का देश है और जिसकी लोग परमात्मा समझ कर भक्ति कर रहे हैँ वह काल है, इस ने ही आत्मा
को बंधन में डाला हुआ है। साहिब ने ही परमपुरुष की सत्य भक्ति का भेद संसार को दिया और संत मत की
स्थापना की। साहिब ने कहा कहा जीवो आपको कुछ नहीं करना है सद्गुरु पार कर देगा।
उन्होंने कहा मेरे दादा जी साहिब के शिष्य थे, वो उनके यहाँ जाते थे। दादा मुझे बड़ा प्रेम करते थे। एक दिन मै भी उनकी ऊँगली पकड़ कर उनके साथ साहिब के पास चला गया। मैंने बड़ा हैरान हुआ। जब मैंने साहिब को
देखा तो उनके सीने से आर-पार दिखाई दे रहा था। फिर मे उनके पीछे गया वहाँ से देखा तो पीठ की तरफ
से भी आर-पार दिखाई दे रहा था। पारदर्शी शरीर था उनका। संत दादू दयाल ने अपने शिष्यो को कहा
की पानी लाओ, शिष्य पानी लाए दादू दयाल जी ने उस बूढ़े की आँखे धोई और पीने लगे। शिष्यो ने कहा
की यह आप क्या कर रहे हैं यह तो गृहस्ती है और आप संत हैं। संत दादू दयाल जी ने जवाब दिया-
"सो आंखियां धोये-धोये पीवा।जिन देखा सद्गुरु कबीर।।"
संत सम्राट सद्गुरु कबीर साहिब देह नहीं थे वो स्वयं साहिब थे। साहिब समाज को ये सन्देश देने आए थे की
ये संसार काल का देश है और जिसकी लोग परमात्मा समझ कर भक्ति कर रहे हैँ वह काल है, इस ने ही आत्मा
को बंधन में डाला हुआ है। साहिब ने ही परमपुरुष की सत्य भक्ति का भेद संसार को दिया और संत मत की
स्थापना की। साहिब ने कहा कहा जीवो आपको कुछ नहीं करना है सद्गुरु पार कर देगा।
~PSD~