सेवा का अवसर सतगुरु की अपार दया मेहर से प्राप्त होता है
सेवा के बारे में हुज़ूर महाराज चरण सिंह जी ने (संत संवाद - भाग 3) में फ़रमाया हैं, "हमें सेवा का मौका और क़ाबलियत उसकी दया मेहर से ही मिलती है। हर एक को यह मौका नहीं मिलता। हो सकता है कि बहुत से लोग सेवा करना भी चाहते हों, सेवा करने के लिये बेताब हों, लेकिन उन्हें कभी मौका ही नहीं मिलता, उनके हालात, उनका माहौल, उनकी घरेलु ज़िम्मेदारियाँ उन्हें सेवा का मौका ही नहीं देती। यह तो उस गुरु की दया मेहर से ही हमें सेवा का मौका मिलता है।
सतगुरु की अपार दया मेहर से ही, किसी को संगत की सेवा का अवसर प्राप्त होता है। यदि किसी को ऐसा अवसर प्राप्त होता है तो यह ध्यान में रखना चाहिए कि यह नेतागिरी या किसी पर हुक्म चलाने के लिये नहीं है। इससे हमें किसी की परख करने का हक नहीं मिलता, सेवा का एकमात्र उददेश्य यह है कि संगत की सेवा पुरे प्यार व असीम नम्रता से की जाये।
सेवादारों और कार्यकर्ताओं को अपने निजी उदाहरण द्वारा सत्संग घरों में व्यवस्थित और अनुकूल वातावरण बनाए रखना चाहिए।
सतगुरु की अपार दया मेहर से ही, किसी को संगत की सेवा का अवसर प्राप्त होता है। यदि किसी को ऐसा अवसर प्राप्त होता है तो यह ध्यान में रखना चाहिए कि यह नेतागिरी या किसी पर हुक्म चलाने के लिये नहीं है। इससे हमें किसी की परख करने का हक नहीं मिलता, सेवा का एकमात्र उददेश्य यह है कि संगत की सेवा पुरे प्यार व असीम नम्रता से की जाये।
सेवादारों और कार्यकर्ताओं को अपने निजी उदाहरण द्वारा सत्संग घरों में व्यवस्थित और अनुकूल वातावरण बनाए रखना चाहिए।
~PSD~