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सतगुरु से बेनती

हे सतगुरु मैं लँगड़ा हूँ और थका हुआ हूँ।मैं तेरे फज़ल और रहमत भरी दरिया से अभी तक अपनी प्यासी आत्मा की दिलभर कर प्यास नहीं बुझा सका।
तू मेरे कर्मो को अच्छी तरह जानता है और मेरी कमजोरियो और लाचारियो मजबूरियों से तू खूब वाकिफ है। यदि कोई खता हुई तो मैं लाचार था,आखिर बीमार ही हूँ रोग दूर करवाने की गरज से तेरे जैसे रूहानी कामिल निर्गुण के दर पर हाजिर हुआ हूँ।
हाकिम दया करके मरीज का इलाज करता है ये समय जकात का है तू अपने खजाने मे से मुझे कुछ बख्श दे। रहम कर रहम कर बख्श ले बख्श ले बख्श ले ।