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नाम की महिमा - कबीर साहिब

कबीर साहिब जी फरमाते है.....
ऐ सत्संगी जब तुमको नाम नहीं मिला था तो तू अज्ञान मैं था और तेरा दोष भी नहीं था. अब तो संतों ने रहमत की खजाने की चाबी तुमको दी है. अपने चरणो मैं लिया है. कभी तूने अपनी किस्मत के बारे मैं सोचा ऐ सत्संगी के तू कितना खास बन्दा है.