कबीर साहिब के दोहे
पड़ा रहेगा माल खजाना,छोड़ त्रिया,सुत जाना है।
कर सतसंग अभी से प्यारे,नही तो फिर पछताना है।
खिला पिला कर देह बढाई,उसे भी अग्नि में जलाना है।
कहे कबीर सुनो भाई साधो,सतगुरु नाम ठिकाना हे ।
कर सतसंग अभी से प्यारे,नही तो फिर पछताना है।
खिला पिला कर देह बढाई,उसे भी अग्नि में जलाना है।
कहे कबीर सुनो भाई साधो,सतगुरु नाम ठिकाना हे ।
~PSD~