सिमरन पर जरूर बैठो
बाबाजी ने कहा कि हमारे मन में ये विचार चलता है कि भजन में हमारा मन तो टिकता नहीं है, इधर-उधर के ख्याल चलते रहते हैं तो बैठने का क्या फायदा, रहने देते हैं। तो इस लिए उन्होने उदाहरण दे के बताया।
जैसे शादी में बुआ, मौसी सगुन वाला लिफाफा दिखा के फोटो खिंचवाते हैं। फोटो खिंच जाती है, पता नहीं लिफाफे में क्या है? खाली है या भरा है? फोटो तो आ गई सगुन डालने की। उसी तरह अन्दर कुछ भी चलता रहे, बैठने कि फोटो तो खिंचवा लो।
आप जरूर बैठो, टाईम दो। बाबाजी के पास आपकी फोटो तो चली जाएगी।अब ये नहीं सोचना कि अन्दर से ख्याल नहीं बनता तो नहीं बैठना।
रोज फोटो जरूर खिंचवानी है जी, बाकि बाबाजी खुद संभाल लेंगे जी।
जैसे शादी में बुआ, मौसी सगुन वाला लिफाफा दिखा के फोटो खिंचवाते हैं। फोटो खिंच जाती है, पता नहीं लिफाफे में क्या है? खाली है या भरा है? फोटो तो आ गई सगुन डालने की। उसी तरह अन्दर कुछ भी चलता रहे, बैठने कि फोटो तो खिंचवा लो।
आप जरूर बैठो, टाईम दो। बाबाजी के पास आपकी फोटो तो चली जाएगी।अब ये नहीं सोचना कि अन्दर से ख्याल नहीं बनता तो नहीं बैठना।
रोज फोटो जरूर खिंचवानी है जी, बाकि बाबाजी खुद संभाल लेंगे जी।
~PSD~