प्यारे से प्यार केसे हो
हम लोग कहते हे गुरु से प्रेमहे प्रेम क्या हे 'मिसाल के रूप में
कोई चीज़ हमे चाहिये 'उसे पाने के लिये हम दिन रात
एक कर देते हें 'यदि जरूरत पड़े तो
अपने उसूलो की कुर्बानी भी दे देते हे । कुर्बानी देना
मतलब अपना सब कुछ
न्योछावर कर देना हे 'आप देखो जेसे आजकल के बच्चे हें
अगर किसी से प्यार
कर बैठते हे 'तो उन्हें नतो दुनियां की लोक लाज
सताती हे 'और न ही किसी का डर चाहे वो बच्चे
कितने ही माँ बाप के आज्ञा कारी हो 'वो प्रेम के
आगे सारे ऊसूल तोड़ देते हे 'क्योंकि बड़े बुजुर्ग भी कहते हे
प्यार अँधा होता हे 'इसी तरहा हमे अपने प्यारे सतगुरु
से 'वो वाला प्यार प्रेम करना हे ।मतलब की जब हम
बाहरी दर्शन करेगे तब दर्शन करते करते अनुराग और प्रेम
पैदा होगा वैराग पैदा होगा और एक विरह पैदा
होगी ।जब ऐसी तड़फ आएगी तब तडप से त्याग पैदा
होगा। इस तरह जब हम सब त्यागने को तेयार होंगे तो
ही अपने निज धाम पहुंचेगे ।ऐसा प्यार ही वो हमसे
चाहते हें। पर शुरुआत कहां से होगी भजन सिमरन से और
भजन सिमरन असल में हे क्या ये उस मालिक का
शुक्रराना ही हे 'उसने हमे इतना कुछ दिया हे 'उसका
शुक्र हे जब तक उसका बिछोड़ा हम महसूस नही करेगे 'हम
तो ये मानते ही नही कि हम उस प्यारे सेे बिछुड़े हुवे
हें...................
बाबा जी अक्सर अपने सत्संगो में फरमाते हे छोटे बच्चे
की क्या ताकत वो माँ तक पहुँच जाये क्योकि न तो
अभी उसने पैरों से चलना शुरू किया हे 'न वो बुला
सकता हे 'वो तो .....विलाप कर सकता हे 'वो
विछोडे की वजह से माँ को बार बार पुकार सकता हे
रो ...सकता हे 'इसी तरह हमे भी उस प्यारे..सतगुरु के
लिये रोंना हे 'और हम कुछ नही कर सकते 'न चल कर जा
सकते हे 'न बोल
सकते हे' हम तो केवल उसे याद कर सकते हे 'प्रार्थना कर
सकते हे बक्श ले..
भुलन्हार हाँ बक्श ले 'बक्श ले 'बक्श ले ..कई बार जब बच्चे
हमारा कहना
नही मानते तो हम बच्चो पर नाराज़ होते हे तो क्या
करते हे 'हम उनसे बात
करनी बंद कर देते हे 'इसी तरह हमारे सतगुरु हमसे नाराज हे
'बात नही करते।
उनके बात करने का बाहरी तरीका क्या था 'सत्संग
था 'औरअब हम देखो उनके
सत्संगो के लिये तड़फ रहे हे। कही भी उनका सत्संग मिले
'अब इस तड़फ को
किसी तरह से हमे करनी में लाना हे 'क्योकि बाबा
जी ने हमारा बाहरी रोना नही
देखना 'हमारा भजन सिमरन देखना हे 'क्योकि वो हमे
रुलाने नही आये हे उन्हें
तो हमारा भजन सिमरन चाहिये। और हम.....भजन
सिमरन करके ही उनकी ख़ुशी हासिल कर सकते हे ।हमें
भी चाहिये...भजन सिमरन करके....
कोई चीज़ हमे चाहिये 'उसे पाने के लिये हम दिन रात
एक कर देते हें 'यदि जरूरत पड़े तो
अपने उसूलो की कुर्बानी भी दे देते हे । कुर्बानी देना
मतलब अपना सब कुछ
न्योछावर कर देना हे 'आप देखो जेसे आजकल के बच्चे हें
अगर किसी से प्यार
कर बैठते हे 'तो उन्हें नतो दुनियां की लोक लाज
सताती हे 'और न ही किसी का डर चाहे वो बच्चे
कितने ही माँ बाप के आज्ञा कारी हो 'वो प्रेम के
आगे सारे ऊसूल तोड़ देते हे 'क्योंकि बड़े बुजुर्ग भी कहते हे
प्यार अँधा होता हे 'इसी तरहा हमे अपने प्यारे सतगुरु
से 'वो वाला प्यार प्रेम करना हे ।मतलब की जब हम
बाहरी दर्शन करेगे तब दर्शन करते करते अनुराग और प्रेम
पैदा होगा वैराग पैदा होगा और एक विरह पैदा
होगी ।जब ऐसी तड़फ आएगी तब तडप से त्याग पैदा
होगा। इस तरह जब हम सब त्यागने को तेयार होंगे तो
ही अपने निज धाम पहुंचेगे ।ऐसा प्यार ही वो हमसे
चाहते हें। पर शुरुआत कहां से होगी भजन सिमरन से और
भजन सिमरन असल में हे क्या ये उस मालिक का
शुक्रराना ही हे 'उसने हमे इतना कुछ दिया हे 'उसका
शुक्र हे जब तक उसका बिछोड़ा हम महसूस नही करेगे 'हम
तो ये मानते ही नही कि हम उस प्यारे सेे बिछुड़े हुवे
हें...................
बाबा जी अक्सर अपने सत्संगो में फरमाते हे छोटे बच्चे
की क्या ताकत वो माँ तक पहुँच जाये क्योकि न तो
अभी उसने पैरों से चलना शुरू किया हे 'न वो बुला
सकता हे 'वो तो .....विलाप कर सकता हे 'वो
विछोडे की वजह से माँ को बार बार पुकार सकता हे
रो ...सकता हे 'इसी तरह हमे भी उस प्यारे..सतगुरु के
लिये रोंना हे 'और हम कुछ नही कर सकते 'न चल कर जा
सकते हे 'न बोल
सकते हे' हम तो केवल उसे याद कर सकते हे 'प्रार्थना कर
सकते हे बक्श ले..
भुलन्हार हाँ बक्श ले 'बक्श ले 'बक्श ले ..कई बार जब बच्चे
हमारा कहना
नही मानते तो हम बच्चो पर नाराज़ होते हे तो क्या
करते हे 'हम उनसे बात
करनी बंद कर देते हे 'इसी तरह हमारे सतगुरु हमसे नाराज हे
'बात नही करते।
उनके बात करने का बाहरी तरीका क्या था 'सत्संग
था 'औरअब हम देखो उनके
सत्संगो के लिये तड़फ रहे हे। कही भी उनका सत्संग मिले
'अब इस तड़फ को
किसी तरह से हमे करनी में लाना हे 'क्योकि बाबा
जी ने हमारा बाहरी रोना नही
देखना 'हमारा भजन सिमरन देखना हे 'क्योकि वो हमे
रुलाने नही आये हे उन्हें
तो हमारा भजन सिमरन चाहिये। और हम.....भजन
सिमरन करके ही उनकी ख़ुशी हासिल कर सकते हे ।हमें
भी चाहिये...भजन सिमरन करके....
~PSD~