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कबीर साहिब के दोहे

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान,
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान..।।

   जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप,
जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप..।।

   धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय..।।

   "कबीरा" ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और,
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर..।।
~PSD~