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काल से बचो

एक साधारण दुकानदार भी ग्राहक को आसानी से जाने नहीं देता, वह ग्राहक को कुछ न कुछ बेच ही देता है, अगर ग्राहक कहे की अभी उसके पास पैसे नहीं है तो दुकानदार ग्राहक को सामान उधार में ही बेच देता है, क्योंकि दुकानदार जानता है की पैसे तो वह ग्राहक से वसूल कर ही लेगा । इसी प्रकार काल भगवान जीवात्मा को सुख सुविधाओं, पैसे, नाम सम्मान व् अन्य तरह - तरह के प्रलोभन दिखा कर उसे पाप कर्म में लिप्त कर देता है, अगर जीव कहे की वह इसकी कीमत इस जन्म में नहीं चूका सकता तो काल भगवान उसे अगले जन्मो के नाम पर उधार दे कर फंसा लेता है, और काल भगवान उस जीवात्मा से अपने किये कर्मों का भुगतान अवश्य करवाता है चाहे जीव आत्मा को कितने जन्म ही क्यों न लगे । इस प्रकार काल भगवान जीवात्मा को चौराशि लाख योनियों के चक्र में फंसाये रखता है और जीव आत्मा को मुक्त नहीं होने देता । अगर सौभाग्य से जीवात्मा को परमात्मा स्वरूप गुरु मिल जाए तो वह जीवात्मा काल भगवान का सारा कर्ज उतारकर अपने निजधाम पहुँच जाता है जहाँ जन्म मरण का दुःख नहीं बस केवल अपार शांति ही शान्ति है ।
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