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दया-मेहर की टोकरी

महाराज सावन सिंह जी के समय की बात है. महाराज जी बाहर से आई हुई संगत को विदा कर रहे थे तो उनमे से एक ने कहा की महाराज जी दया मेहर करना. तो इस पर महाराज जी हंसकर ऊपर अपने कमरे में चले गये. बीबी लाजो सब देख रही थी उससे रहा नही गया और वो भी महाराज जी के पीछे-पीछे कमरे में चली गई और महाराज जी से सवाल किया की दया मेहर की बात पर वो हसंकर ऊपर क्यूँ आ गये.
बडे महाराज साहिब ने बहुत प्यारा जवाब दिया:-
बीबी हम रात रोज़ सुबह 2 बजे दया मेहर की टोकरी लेके निकलते हैं. कोई सो रहा होता है, कोई काम में लीन होता है, कोई दुनिया के काम कर रहा होता है. जो जो भजन मे सुबह बैठे होते है उस टोकरी मे से दया के फूल बरसाते है । फिर बड़े महाराज साहिब ने बीबी लाजो से कहा हमे बहुत अफसोस होता हे कि कुछ भागयशली जीव जो जागते है वही फायदा उठा पाते है और बाकी सारी की सारी दया की टोकरी हमे वापिस लानी पड़ती है हमे बहुत दुख होता है.

इस साखी से हमे प्रेरणा लेकर रोज सुबह 2-6 बजे के बीच कम से कम 2 घंटे जरुर भजन-सिमरन को देने चाहिए.
~PSD~